लो समझ लो बात
01सितम्बर15
आज सुबह 8.30 को इस ब्लोग की एक पोस्ट में शब्द का 31 agst, 2007 shukrawaar उपयोग किया गया. और गूगल सर्च में यह केवल पांच घंटे बाद 1.30 पर शामिल हो गया है। नीचे फोटो देखिये
ये पोस्ट उस एग्रीगेटर में नहीं दिखी जिसके गुड़गान बखाने जा रहे थे।
कल ये शब्द बारमेड पोलीस की एक पोस्ट में आये और सिर्फ नारद मे दिखे लेकिन गूगल में कुछ ही घंटो बाद शामिल कर लिये गये।
तो मतलब;
हाथ कंगन को आरसी क्या
डुगडुगी बजाने पे न जाओ
अपनी अक्कल लड़ाओ.
Filed under: बात-बेबात की, Uncategorized | 3 Comments
हम भी अपनी डफली अपना राग बजा रहे है जी, नारायण नारायण.
नही जी हम शिल्पा जी की ढपली बजाने मे योगदान दे रहे है..बहुत अच्छी पोस्ट आ रही आजकल आपकी..खास तौर से फोटो ब्लोग जारी रखे जी..सौ सुनार की एक लुहार की शीर्शक बहुत शानदार रहेगा…:)
आप की खोज वाकई बहुत ही अच्छी है. आप से एक सवाल मेरा चिट्ठा आजतक नारद पर रजिस्टर नही हो पा रहा कोई साथी मेरी सहायता करें………………….